Home
संस्था का
संक्षिप्त
इतिहास
प्रातः
स्मरणीय श्रीमान
चाँद रतन जी
बागड़ी ने अपनी
धर्म पत्नी
श्रीमती
सुगनी देवी व
सुपुत्र श्री
भैरव रत्न की
स्मृति में बीकानेर
के
सुप्रसिद्ध
समाजसेवी,
शिक्षा प्रेमी
तथा
मान्यताओं के
पोषक सेठ श्री
रामगोपाल जी
मोहता की
प्रेरणा से
समाज के सभी
वर्गों की बालिकाओं
के अध्यापन
हेतु इस
शिक्षण संस्था
की शुभ तिथि
बैशाख बदी
दशम् रविवार
तद्नुसार 15-04-1928
को स्थापना की
गयी |
भारत
की आज़ादी से
पूर्व बालिका
शिक्षा का नितांत
आभाव था | समाज
की मानसिकता
यह रही कि बालिकाएँ
घरेलु काम-काज
के लिए ही है,
अतः
विद्याध्ययन
के लिए विद्यालय
में भेजने से
परहेज रखते थे|
प्राथमिक
स्तर में
प्रारंभ में
तीन छात्राएं
थी, उनमे से एक उनकी
स्वयं की पुत्री
रतन देवी थी,
शनै:-शनै: समाज
के सभी वर्गों
में उत्साह
देखा गया |
प्राथमिक से
लोअरमिडिल
फिर मिडिल के पायदान
चढ़ते हुए
सेकेंडरी व 1986
में 10+2 के
अंतर्गत उच्च
माध्यमिक
विद्यालय के रूप
में पल्लवित
हुई |
केवल
छात्राओं के अध्यापन
कार्य तक
लक्ष्य नहीं
था, वरन् समाज
की विधवा
महिलाओं को
वजीफ़ा देकर
पढने हेतु
प्रोत्साहित
भी किया गया
था, अध्यापकों
को भी वजीफ़ा
देकर आगे पढने
हेतु
प्रोत्साहन
के साथ-साथ
मार्गदर्शन
भी दिया गया |
व्यावसायिक
शीक्षा का भी
प्रावधान रखा
गया जिसके
अन्तर्गत
सिलाई,
पाकशास्त्र व
कन्या स्वास्थ्य
विषय का
अध्यापन
कार्य किया
जाता था | साथ
ही साथ
पुस्तकालय की
भी स्थापना की
गयी |
अभिभावक
अपनी
बालिकाओं को
अकेला भेजने
में हिचकिचाहट
रखते थे,अतः श्री
बागड़ी ने
घोड़ागाड़ी मय
परिचारिका के बालिकाओं
को घर से लाने
व भेजने की
व्यवस्था की |
श्री
रामनारायण जी
बागड़ी द्वारा
मुफ्त दवा देने
की व्यवस्था
की गयी | इस प्रकार
अध्ययन के
अतिरिक्त
गृहकार्य के
लिए सिलाई,
पाकशास्त्र,
स्वास्थ्य व
पढने की आदत हेतु
पुस्तकालय की
व्यवस्था इस
समय की महत्वपूर्ण
आवश्यकता रही
|
श्री
बृजमोहन
बागड़ी ने
संस्था के
उद्घाटन के अवसर
पर उपस्थित
गणमान्य नागरिकों
से अपनी
लडकियों व
बहनों को
विद्यालय में
पढने हेतु
भेजने का आह्वान
करते हुए कहा
कि इसका
संचालन
जनता-जनार्दन
द्वारा किया
जायेगा |
उद्घाटन
समारोह में
तत्कालीन
निरीक्षक
(बालिका)
शिक्षा विभाग,
श्रीमती सुशीला
देवी भी
उपस्थित थी |
समापन समारोह
के अवसर पर श्री
चाँद रतन जी
बागड़ी ने कहा
कि यह पाठशाला
किसी व्यक्ति
विशेष की ना
समझें, यह
जनता-जनार्दन
की संस्था है,
उसी समय 41
बालिकाओं ने
प्रवेश हेतु
अपना नाम
लिखवाया |
संस्था
की
कार्यकारिणी
गठित की गयी |
प्रथम सभापती
पंडित श्री
गोकुल चन्द
तिवाड़ी तथा
मंत्री श्री
चाँदरतन जी
बागड़ी बने |
संस्था की
कार्यकारिणी
कमेटी ने 27-08-1943 को
ट्रस्ट कायम
करने की
मंजूरी देते हुए
संस्था के
संस्थापक एवं
मंत्री की
हैसियत से
श्री चाँदरतन
जी बागड़ी को
पूरा अधिकार
दिया गया |
ट्रस्ट का
नाम :-
श्री
भैरवरत्न
मातृ पाठशाला
ट्रस्ट
पंजीकरण :- 18-11-1943
Directorate of Education से 150
रूपये
प्रतिमाह Grant in Aid
की स्वीकृति
जारी हुई |
कालांतर
में अध्यक्ष व
सचिव बदलते
रहे,वर्तमान में
अध्यक्ष श्री
चन्द्रकुमार
जी कोचर (2008 से
लगातार) व श्री
मनमोहन जी
बागड़ी 2013-14 से
मंत्री के रूप
में कार्यरत
है |